Syari

इश्क़ की बंदगी दी है तो हुस्न की इबादत जरूरी है; इश्क़ से जीने की आस रहेगी और हुस्न से तड़प का सकून​।

ना इश्क़ का इज़हार किया, ना ठुकरा सके हमें वो; हम तमाम ज़िंदगी मज़लूम रहे, उनके वादा मोहब्बत के।

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