Love shayari. Mohabat shayari


1. मेरे खातिर दुनिया की महफिल नहीं वहाँ पे मैं नहीं, जहाँ पे दिल नहीं इश्क सच्चा हो तो वो तमाशा क्यूँ बने दर्द ऐसा नुमाइश के काबिल नहीं आज की रात तू मेरे पहलू में नहीं चाँद से आज कुछ भी हासिल नहीं


2.सारा गुनाह इश्क़ का, उसपे ही डाल दो मुज़रिम उसे बनाकर मुसीबत को ताल दो ये चमन जहाँ खिला एक फूल मुस्कुराता उसे तोड़कर रकीबों की तरफ उछाल दो .
3.इश्क़ पर ज़ोर नहीं, यह वो आतिश ग़ालिब; के लगाए ना लगे और बुझाए ना बुझे।


4.इश्क के रिश्ते कितने अजीब होते है? दूर रहकर भी कितने करीब होते है; मेरी बर्बादी का गम न करो; ये तो अपने अपने नसीब होते हैं!

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